आधुनिक वैयक्तिक परिवार नारी की खुली या छिपी हुई घरेलू दासता पर आधारित है।
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मुख्यत: मध्यम वर्ग और अन्य सम्पत्तिशाली वर्गों की स्त्रियाँ और सामान्यत: सभी स्त्रियाँ वहाँ घरेलू दासता से पूर्णत: मुक्त नहीं हो सकी हैं ।
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पूँजीवाद ने औरतों के लिए सार्वजनिक उत्पादन के दरवाजे़ काफ़ी हद तक खोल दिये, पर उसकी घरेलू दासता और पुरुष-पराधीनता को समाप्त नहीं किया।
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जिस एकल परिवार को बुर्जुआजी ने आदर्श परिवार के रूप में लोकप्रिय बनाया, उसके बारे में एंगेल्स की राय थी कि ‘आधुनिक वैयक्तिक परिवार नारी की खुली या छिपी हुई घरेलू दासता पर आधारित है।
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हाल के दिनों में, मीडिया में कई चौंकाने वाली कहानियां प्रकाशित की गई हैं, कि किस तरह जवान महिलाओं और लड़कियों को कुछ एजेंसियों द्वारा देश के अलग-अलग इलाकों से दिल्ली व अन्य शहरों में लाया जाता है, जहां उन्हें वेश्यावृति या घरेलू दासता में जबरदस्ती धकेला जाता है और बर्बरतापूर्ण शोषण का सामना करना पड़ता है।
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ऐसी दूसरी प्रसिद्ध कृति सुप्रसिद्ध नारीवादी नेता और 1966 में राष्ट्रीय नारी संगठन (अमेरिका) का गठन करने वाली बेट्टी फ्रीडन(Betty Friedan) की 1963 में प्रकाशित पुस्तक द फेमिनिन मिस्टिक(The Feminine Mystique) थी जिसमें स्त्रियों की घरेलू दासता और पुरूष-स्वामित्व को स्वीकार करने के लिए उनके दिमाग के 'कंडीशनिंग' की प्रक्रिया की उग्र लेकिन एकांगी एवं अनैतिहासिक आलोचना की गयी थी ।
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उन्होंने स्पष्ट किया कि पूंजीवादी समाज में कामगार स्त्रियाँ निकृष्टतम कोटि की उजरती गुलाम होने के साथ-साथ यौन आधार पर शोषण-उत्पीडन का शिकार तो हैं ही, सम्पत्तिशाली वर्गों की स्त्रियाँ भी सामाजिक श्रम से कटी हुयी या तो नारकीय घरेलू दासता एवं पुरुष स्वामित्व के बोझ से दबी हुई हैं या बुर्जुआ समाज में स्त्रियों के लिए आरक्षित कुछ विशिष्ट अपमानजनक पेशों में लगी हुयी निहायत निरंकुश स्वेच्छाचारिता की शिकार हैं ।